Anju Dixit

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मंजुला दुर्भाग्य या सौभाग्य भाग(9)

  मानो दीपक को कुछ याद आया और उसने मंजुला को खुद से दूर कर दिया ।
अचानक से दीपक के हटने से मंजुला कुछ समझ न पायी और असमंजस से दीपक को देख रही थी।
दीपक को एहसास हो गया वो गलत किया तभी बता सभालते हुए  कहा वो कोई बुला रहा  शायद , कहकर रूम से बाहर आ गया।
मंजुला भी सच मान ली।
तभी रचना ने आकर बताया आपके मायके वाले आ गए।
सुनते ही मंजुला खुश हो गयी।
भाभी मम्मी ने कहा अपना सामान बांध लो थोड़ी देर में जाओगी आप अपने मायके।
मंजुला खुशी खुशी समान बांधने लगी ,तभी सास आ गयीं  बहु सामान बांध ली का ।
जी माँ जी,
अरे एक दो साड़ी रख लो परसों तो आ जाओगी न ।
परसो  इतनी जल्दी ।
और नही तो का बहुत रह लीं मायके में अब अपना घर सँभालो कहकर सास बाहर चली गयीं, मंजुला उदास हो गयी,
तभी दीपक आ गया उसे उदास देखकर बोला क्यों क्या हुआ???
मन नही जाने का जो इतनी उदास बैठी हो।
मन तो है पर ,
क्या पर,
इतनी जल्दी आने का नही।
अच्छा क्यों नही आने का।
मंजुला कुछ न वोली बस पलकें भर लायी,
अरे रोने की क्या बात इसमे , जब तक मन कहे रह लेना नही आऊँगा बुलाने जब तक तुम न कहोगी , दीपक ने नाराजगी दिखाते हुए कहा।
मंजुला धीरे से वोली आ जाना पर परसों नही , दो चार दिन बाद।
ठीक नही आऊँगा परसो  खुश अब चलो फटाफट तैयार हो  सब बुला रहे ।
मंजुला झट से वोली मैं तो तैयार हूँ अपने घर ही तो जा रही मैं ।
हाँ पर देख लो सब ठीक है  , औऱ हाँ अब तुम्हारा घर यह है समझी मंजू रानी।
मंजुला का मन खुशी से फूल गया। आज आखिर मिल गया उसे अपना घर कहने बाला तब तक  रचना आ गयी भाभी चलो जल्दी लेट हो रही आप ।
हां चलिए कहकर वो आगे बढ़ी  तभी दीपक बोल दिया चलो मैं लाया बैग, रचना बाहर चली मंजुला भी उसके साथ आ गयी , लम्बा घुघट किए।
और चल पड़ी मायके पगफेरे की रस्म पूरी करने , खुशी खुशी घर पहुंचकर  सबसे पहले अम्माँ के गले लगकर बहुत रोई।
माँ की पलके भर आयी यह लगा कितने दिन बाद मिली बेटी से।
  बहुत थकी थी और नई जगह सो भी न पायी थी। अपने जाने पहचाने पलंग पर आकर  लेटते ही सो गई।
उधर दीपक जब कमरे में सोने गया तो सारा कमरा सूनसान उदास सा लग रहा था, तभी उसकी आँखों मे मंजुला की सूरत लिए दो गया।
सुबह मंजुला आराम से उठी ।
माँ काफी कम कर चुकी थी, मंजुला को चाय थमा दी।
मंजुला बोली --माँ मैंकल नही जाऊंगी ,
क्यों क्या हुआ कोई कुछ कहा क्या???"
नही माँ पर इतनी जल्दी नही।
बेटा अब जिद भी तो नही कर सकते  न ,अभी चली जा फिर जल्दी बुला लेंगे ,वो क्या अच्छे दिन है अभी।
तभी सरिता आ गयी , ऒर दोनों  बतियाने लगीं बताओ मेरे जीजू कैसे मिजाज के हैं।
मंजुला का दिल चाह सब बता दे पर वो चुप रही , हँसकर बात टाल दी फिर वह शाम तक बातें की ।
मंजुला की बहन ने खाना  खिलाया  और   मंजुला  भी  थोड़ा सामान  बांध लिया फिर माँ ,दीदी सब हाल चाल पूछ लिया  ।
सभी सो गए तभी मंजुला भी मन मे  कई विचार लिए सो गयी।


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2 Comments

Fiza Tanvi

03-Nov-2021 11:53 AM

Good

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🤫

28-Oct-2021 09:43 AM

गुड स्टोरी...😊

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